चाय न हमारी न तुम्हारी , ये तो बस जुबां की प्यारी है , चाभी है ये , जो यादों के हजारों पिटारे खोल देती है , कई बार तो नए किस्से भी बुन देती है । बारिश और चाय की जोड़ी खूब जचती है , अगर तन्हाई में संग वक्त गुजारती तो दोस्तो के संग नुक्कड़ की ठिठौलियो भी बन जाती है , चाय इश्क है ,अपनी खुशबू की छाप छोड़ जाती है , अपना क्या पराया क्या , ये चाय है मेरी जान , ये तो जमाने को जोड़ जाती है । ©Tannu Sharma # चाय की प्याली