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चाय न हमारी न तुम्हारी , ये तो बस जुबां की प्यारी

चाय न हमारी न तुम्हारी ,
ये तो बस जुबां की प्यारी है ,
चाभी है ये ,
जो यादों के हजारों पिटारे खोल देती है ,
कई बार तो नए किस्से भी बुन देती है ।
बारिश और चाय की जोड़ी खूब जचती है ,
अगर तन्हाई में संग वक्त गुजारती
तो दोस्तो के संग नुक्कड़ की ठिठौलियो  भी बन जाती  है ,
चाय इश्क है ,अपनी खुशबू की छाप छोड़ जाती है ,
अपना क्या पराया क्या ,
ये चाय है मेरी जान , 
ये तो जमाने को  जोड़ जाती है ।

©Tannu Sharma # चाय की प्याली
चाय न हमारी न तुम्हारी ,
ये तो बस जुबां की प्यारी है ,
चाभी है ये ,
जो यादों के हजारों पिटारे खोल देती है ,
कई बार तो नए किस्से भी बुन देती है ।
बारिश और चाय की जोड़ी खूब जचती है ,
अगर तन्हाई में संग वक्त गुजारती
तो दोस्तो के संग नुक्कड़ की ठिठौलियो  भी बन जाती  है ,
चाय इश्क है ,अपनी खुशबू की छाप छोड़ जाती है ,
अपना क्या पराया क्या ,
ये चाय है मेरी जान , 
ये तो जमाने को  जोड़ जाती है ।

©Tannu Sharma # चाय की प्याली
niharikasharma2300

ekhwaab

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# चाय की प्याली #कविता