जनहित की रामायण - 40 तानाशाही चल रही, जनहित को ये छल रही ! लोकतंत्र की गुमशुदगी, जन मन को खल रही ।। सत्ता मस्त मचल रही, महँगाई न संभल रही ! सच्ची खबरे कहीं नहीं, झूठी फूल फल रही ।। कोरोना ने मारा जब, सरकारें सब विफल रही ! लाशों का अंबार लगा, कुछ ही उनमें जल सकी ।। ऑक्सीजन कमी से मौतें, बात छुपी नहीं रही ! लोकसभा में कह दिया, ऐसी मौतें ही हुई नहीं ।। काले को सफ़ेद बताना, आजकल आम बात है । जनता का धन है काला, नेता को सब माफ है ।। जनता गर सोई रही, लायक न रहेगी उठ पाने के । कलम स्याही सूख रही, लिख लिख के समझाने में ।। जीवन जीने का हक सबको, रजवाड़ों का न है राज । जनतंत्र कागजों में बचा, कर हिम्मत उतार दो माज ।। - आवेश हिन्दुस्तानी 14.8.2021 ©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan #AaveshVaani #loktantra #lockdown #lockdown3