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अधरों पे हों इश्क़ के अरमाँ,आपस में धीरे-धीरे यूँ

 अधरों पे हों इश्क़ के अरमाँ,आपस में धीरे-धीरे यूँ घुल जायें..!
सियासतों रियासतों से क्या लेना,द्वार मोहब्बत के बस खुल जायें..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Baagh #adhar

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