जाने कितनी परतें उसके किरदार में छुपी हुई , हर ईंट मुगालते में है कि छत मुझपे टिकी हुई। चाक गिरेबाँ वाले अपने सच के साथ रहे और , झूठ का दामन पकड़े , गैरत जिसकी बिकी हुई । - राणा © जाने कितनी #परतें उसके #किरदार में #छुपी हुई , हर #ईंट #मुगालते में है कि #छत मुझपे #टिकी हुई। #चाक #गिरेबाँ वाले अपने #सच के साथ रहे और , #झूठ का #दामन पकड़े , #गैरत जिसकी #बिकी हुई । - राणा ©