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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 4 :- चाँद और च

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

देख के उसके चेहरे का नूर हम मोहित हो गए।
दिल, धड़कन, साँसों में भी एक खुमार आ गई।

चाँद और चाँदनी की बातें हम कभी करते थे।
आज खुद चाँदनी चलकर मेरे पास आ गई।

उसकी तारीफ़ के क़सीदे में क्या कह दें हम।
उसके आने से ही रौनक-ए-बहार आ गई। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।
कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

देख के उसके चेहरे का नूर हम मोहित हो गए।
दिल, धड़कन, साँसों में भी एक खुमार आ गई।

चाँद और चाँदनी की बातें हम कभी करते थे।
आज खुद चाँदनी चलकर मेरे पास आ गई।

उसकी तारीफ़ के क़सीदे में क्या कह दें हम।
उसके आने से ही रौनक-ए-बहार आ गई। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।