Nojoto: Largest Storytelling Platform

उस सुन्दर अंबर -तल से नीरवता की चादर ओढ़े तुम हौले

उस सुन्दर अंबर -तल से 
नीरवता की चादर ओढ़े तुम हौले से उतरो 
मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखती तुम धवल हो |
रजत चीर का का पड़ा आवरण 
क्या कोई तुम दुल्हन हो? 
मारुत बहता, सिंधु डोलता, रजत वसन के पट को खोलता 
लहरें वेग में हैं स्पर्शी, प्रतीत होती तू चन्द्रमासी, 
कल्पना का टूटा क्रम, जो भी था वो सब था भ्रम |
जिसे सोचती थी मैं "नवोढ़ा "वह तो था" शशि "का "प्रतिबिम्ब "
मैं भी नीरव, सिंधु भी नीरव,हर दिशा अब नीरव है 
मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखता चाँद धवल है ||
स्मृति.... Monika #जो था, वह सब था एक भ्रम #कविता #शशि का #प्रतिबिम्ब #स्मृति.... #Monika
उस सुन्दर अंबर -तल से 
नीरवता की चादर ओढ़े तुम हौले से उतरो 
मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखती तुम धवल हो |
रजत चीर का का पड़ा आवरण 
क्या कोई तुम दुल्हन हो? 
मारुत बहता, सिंधु डोलता, रजत वसन के पट को खोलता 
लहरें वेग में हैं स्पर्शी, प्रतीत होती तू चन्द्रमासी, 
कल्पना का टूटा क्रम, जो भी था वो सब था भ्रम |
जिसे सोचती थी मैं "नवोढ़ा "वह तो था" शशि "का "प्रतिबिम्ब "
मैं भी नीरव, सिंधु भी नीरव,हर दिशा अब नीरव है 
मद्धिम -मद्धिम चाँदनी में दिखता चाँद धवल है ||
स्मृति.... Monika #जो था, वह सब था एक भ्रम #कविता #शशि का #प्रतिबिम्ब #स्मृति.... #Monika