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चुनाव की सुगबुगाहट आते ही राजनीतिज्ञों के हुजूम उम

चुनाव की सुगबुगाहट आते ही राजनीतिज्ञों के हुजूम उमड़ पड़ते हैं।अलाव पर पिछवाड़ा सेकते हुए जब वो अपनी बात कहते हैं तो लगता है कि पिछले 4 सालों से सबसे ज़्यादा लट्ठ इन्होंने ही झेले हैं।जब कोई किसी की नहीं सुनता तो एक दूसरे को गरियाते हुए वे कई कुनवों में बंट जाते हैं उनमें से बहुतायत में भक्त और चमचे होते हैं।भण्डारे की जुगाड़ में रहने वाले दूर से उनकी उहापोह देखते हैं।जब कोई बात समझ में नहीं आती तो वहाँ कुछ 'भाभी जी घर पे हैं' की भाभी बनके बोल उठते हैं-
"सही पकड़े हैं।" भले उनके पास पकड़ने के लिए कुछ हो न हो। रूठा हुआ भक्त या आप मुझे भड़का हुआ चमचा न समझें मैं आप की सरकार हूँ😁😁😁🤭
😂 नही नही
अभी तो आप की ही सरकार हे
बिजनेस मॉडल स्कूल और फ़्री की बिजली के साथ मुफ़्त पानी हो तो क़माल हो जाए
महिला तो बस में फ्री चल सकतीं हैं पुरुष भी चले तो निहाल हो जाएं।


#क्रमशः -----
चुनाव की सुगबुगाहट आते ही राजनीतिज्ञों के हुजूम उमड़ पड़ते हैं।अलाव पर पिछवाड़ा सेकते हुए जब वो अपनी बात कहते हैं तो लगता है कि पिछले 4 सालों से सबसे ज़्यादा लट्ठ इन्होंने ही झेले हैं।जब कोई किसी की नहीं सुनता तो एक दूसरे को गरियाते हुए वे कई कुनवों में बंट जाते हैं उनमें से बहुतायत में भक्त और चमचे होते हैं।भण्डारे की जुगाड़ में रहने वाले दूर से उनकी उहापोह देखते हैं।जब कोई बात समझ में नहीं आती तो वहाँ कुछ 'भाभी जी घर पे हैं' की भाभी बनके बोल उठते हैं-
"सही पकड़े हैं।" भले उनके पास पकड़ने के लिए कुछ हो न हो। रूठा हुआ भक्त या आप मुझे भड़का हुआ चमचा न समझें मैं आप की सरकार हूँ😁😁😁🤭
😂 नही नही
अभी तो आप की ही सरकार हे
बिजनेस मॉडल स्कूल और फ़्री की बिजली के साथ मुफ़्त पानी हो तो क़माल हो जाए
महिला तो बस में फ्री चल सकतीं हैं पुरुष भी चले तो निहाल हो जाएं।


#क्रमशः -----