कला की देवी थी ललना उसपर शक्ति का था साथ तुमने महिषासुर बनकर ललकारा आब देखो क्या होता अभिशाप जो पुजने योग्य थी सबकी दुत्कार बनाकर क्या पाया जो उडती आकाश गगन मध्य बरबाद बनाकर क्या पाया लडकियो के साथ बलात्कार के विरोध मे ये कविता #क्या_पाया चीखों मे सिमटी दुनियां वो अपनी धुन मे लगा रहा वो बिलख रही थी खुद मे ही वो मस्त मगन बन अड़ा रहा