एक और दिन भी कट गया तेरा इंतेज़ार करने मे फिर आज की सुबह हुईं तेरे ही इंतेज़ार में वही था आज भी माँ की प्यारी आवाज उठ जा अब मेरे लाल फिर वही चाय का एक कप फिर खो गये हम उस चाय की चुस्कियो के सँग फिर से तेरी यादों में फिर कुछ समय तो निकल गया तेरा इंतेज़ार करने मे फोन तो बज रहा था लगातार पर हर वो घंटी बजती रह गईं सिर्फ तेरे इंतेज़ार करने में जब तेरे ख्यालो से बाहर आया तो देखा ये दिन आधा बीत चुका फिर माँ की प्यारी आवाज के साथ थाली में था माँ का प्यार मन तो नहीं था पर तेरी यादों के इस सिलसिले को रोकने में भी माँ के पास बैठ गया पर अभी भी तेरा कोई पता नही था नजरे बस थी तो फोन और अचानक से एक message आया मेरी खुशियां सारी बंदिशे तोड़ चुकी अब कुछ चंद लफ्ज़ो के बाद फिर तुम चले गयी और में फिर से डूब गया तेरा इंतेज़ार करने मे!! ©विरल M लाड़ (kiरmन) तेरा इंतेज़ार करने में!