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पल्लव की डायरी पहचान, मुलाकातो ने दी अब वेवश दिल ह

पल्लव की डायरी
पहचान, मुलाकातो ने दी
अब वेवश दिल हो रहा है
चेतना तक हम उतर आये है
रगों में जादू  मिलन का चल रहा है
कतरा कतरा मेरा इतना हावी है
हजारो वाट का करंट जिस्म में दौड़ रहा है
सुध बुध मुझ में रही नही है
 प्यार में पागलपन की हदे 
मालामाल मुझे हर दम कर रही है
ज्वार भाटे जैसी तड़पन है दिलो में
बर्बाद होकर भी में निखर रही हूँ
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #happypromiseday बर्बाद होकर भी में निखर रही हूँ
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