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इश्क़ तो मेरा भी सच्चा है, बस राझें की तरह मशहूर

इश्क़ तो मेरा भी सच्चा है, 
बस राझें की तरह मशहूर नहीं। 
मिलने को तो मिल ले उनसे कई मर्तबा 
मगर उनको मिलना अब मंजूर नहीं।। 

जमाना लाख लगाएं तोहमते, 
पर इसमे उसका कोई कसूर नहीं। 
ये वक्त वक्त की बात है, 
रिश्तों के हाथों मजबूर है हम, मगरुर नहीं।। #मशहूर_नहीं
इश्क़ तो मेरा भी सच्चा है, 
बस राझें की तरह मशहूर नहीं। 
मिलने को तो मिल ले उनसे कई मर्तबा 
मगर उनको मिलना अब मंजूर नहीं।। 

जमाना लाख लगाएं तोहमते, 
पर इसमे उसका कोई कसूर नहीं। 
ये वक्त वक्त की बात है, 
रिश्तों के हाथों मजबूर है हम, मगरुर नहीं।। #मशहूर_नहीं