काश! इस शहर के सन्नाटों से, अब कोई मुझे रिहाई दे, कोई दवा तो करो! जो इन मर्ज़-ए-सन्नाटों को विदाई दे..! आग लगे मुए उस वक़्त को, जो आशिकों को जुदाई दे.. तेरे बिन, क़ैद-ए-बामुशक़त! हर लम्हा मुझे मेरी तन्हाई दे..! रब का शुक्रिया अदा करूँ कि तेरी आवाज़ तो सुनाई दे अब, मिलकर ना बिछड़ेंगे कभी, या रब तू जो रहनुमाई दे...! अब मुझे रिहाई दे... #रिहाई #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi