माना कि मैं ख़्वाबीदा हूँ। आप सबसे थोड़ी-सी जुदा हूँ।। अपनी ही धुन में, मैं रहती सदा हूँ। सादगी पर मैं, हर पल फ़िदा हूँ।। मेरा ख़ुद का तसव्वुर है, है ख़ुद का तराना। आता नहीं बिल्कुल मुझे, ये रूठना-मनाना।। मेरी पहचान से जुड़ा है, मेरा हर पल मुस्कुराना। ग़र समझ पाओ मुझे, तभी मेरी ज़िंदगी में आना।। कभी ग़म का पिटारा हूँ, कभी खुशियों का हूँ खजाना। विचारों में परिपक्व हूँ, पर हरकतें हैं ज़रा बचकाना।। माना दोस्तों की फेहरिस्त छोटी है, पर रिश्तों को दिल से है निभाना। क्योंकि इनके साथ ही, ज़िन्दगी का हर सफ़र है सुहाना।। ©Muskan Satyam #Myself #realme