उम्मीद है कि अंधेरा घना छा रहा हैं मगर उम्मीद हैं की दूर कहीं से सूरज अपने संग उजाला ला रहा हैं खुशियाँ दामन छोड़ चुकी हमारा मगर उम्मीद हैं कोई फरिस्ता आएगा जो गम को हमारे ख़ुशी में बदल देगा अपनों ने तो छोड़ दिया तन्हाई में हमे मगर उम्मीद हैं की कोई अजनवी आएगा जो हमारे लिए महफ़िल सजायेगा सफर ऐ राह में चलते चलते सब साथ छोड़ गए मगर उम्मीद हैं की कोई तो हमसफ़र बन कदम से कदम मिलाएगा उम्मीद हैं की #कविता