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#OpenPoetry हुए आज जो गुमशुदा से कुछ यूं सवालों मे

#OpenPoetry हुए आज जो गुमशुदा से कुछ यूं सवालों में...
जुटा है ज़माना अब कुछ मेरे ही गुमनाम सुन्यकालों में...
हर इक सख्श की रूह को खोज निकालता हूं अब खयालों में ..
जल्द ही शिरकत होगा ज़िंदादिल का भी.. उन नज़ीर ए खयालों में..

मैं हूं कौन अब ये भी पूछते है वो अक्सर..
ज़िंदा इक लाश हूं मैं ..कहता हूं हस कर..
बस अकड़ है इतनी की ज़िंदा सा दिखता हूं मैं..
ज़िंदादिली ही जाना हैं हमने..राज करता हूं दिलों पे..सिकंदर हूं मतवालों में।। सिकन्दर
#OpenPoetry हुए आज जो गुमशुदा से कुछ यूं सवालों में...
जुटा है ज़माना अब कुछ मेरे ही गुमनाम सुन्यकालों में...
हर इक सख्श की रूह को खोज निकालता हूं अब खयालों में ..
जल्द ही शिरकत होगा ज़िंदादिल का भी.. उन नज़ीर ए खयालों में..

मैं हूं कौन अब ये भी पूछते है वो अक्सर..
ज़िंदा इक लाश हूं मैं ..कहता हूं हस कर..
बस अकड़ है इतनी की ज़िंदा सा दिखता हूं मैं..
ज़िंदादिली ही जाना हैं हमने..राज करता हूं दिलों पे..सिकंदर हूं मतवालों में।। सिकन्दर