आज किस ग़म का,मातम मनाने बैठ गए हम आँखों में आँसू सजाने,तेरे बहाने बैठ गए हम ये किस कहानी में ख़ुदा ने हमें भेज दिया,बारहा तेरी ख़ुशी के लिए,खुद को सताने बैठ गए हम तेरे दिल कि सदा जब,उसके दिल तक नहीं पहुँची ऐसे में,इससे सुनके,उसको सुनाने बैठ गए हम तुझे समझाया-बुझाया,तेरे संग हँसा अक़्सर और तेरा फ़ोन कटते,ख़ुद को रुलाने बैठ गए हम अपनी क़िस्मत कि लकीरें मिटाने,इसी बहाने उठाया कलम,आग से आग बुझाने बैठ गए हम #yqbaba#yqdidi *बारहा- often *सदा- sound