कहां रुकती है जिंदगी... कहां थमती हैं ख्वाहिशें..... कहां ख़तम होती हैं जरूरतें... कहां पूरा होता है सफ़र... कहां थकता है इंसान .. क्यूं रुकता इंसान है .. क्यूं ढूंढ़ता है वो ख़ुद ही को आईने में, क्यों ख़ुद ही से कभी वो मिल नहीं पाता ...! जमाने के शोर में खुद को भूल जाता , ख़ुद ही की मुस्कान को पुरानी तस्वीरों में तलाशता है ...! देखता है ख़्वाब टूटने के लिए ... पर फ़िर इक नए ख़्वाब ढूंढ लाता है ...! थकता कहां है वो जरूरतों को ढोने में , भले सुकून अपना गिरवी रख आता है ...! रूह थक जाती पर,कहां थकता इंसान है, अपने अरमानों पर थिरकता वो इक नादान है ..! फटे हुए रिश्तों खातिर अपना दिल दुखाता है, अश्कों से धो कर खुद को माफ़ कर आता है..! किसी छांव ठहर कर स्वाभिमान सिल लेता है.. गैरों की मुस्कान में कभी अपनों से मिल लेता है...!! थम जाता सफ़र सासों का पर वक्त नहीं थमता है, ज़िन्दगी को समेटने में इंसान बिखर जाता है..!!-Anjali Rai Angel ❤️ #ख्वाहिशें_बेहिसाब_हैं✍️ #जिंदगी_गुलजार_है🥰.... कहां रुकती है जिंदगी... कहां थमती हैं ख्वाहिशें..... कहां ख़तम होती हैं जरूरतें... कहां पूरा होता है सफ़र... कहां थकता है इंसान .. क्यूं रुकता इंसान है ..