अल्लाह के नजदीक हमारी जिंदगी एक पेड़ की पत्ती के समान है। पैदा हुई,बड़ी हुई और फिर सूख कर गिर गई। अब जो भीे अच्छा-बुरा करना है इसी के दरम्यान करना है... अल्लाह कहने-सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए,,,,आमीन। अल्लाह