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पिता! रूह में तुम्हीं उमड़ते-घुमड़ते हो तुम सबक़ का इ

पिता! रूह में तुम्हीं उमड़ते-घुमड़ते हो
तुम सबक़ का इमाम दिखाई पड़ते हो

बसते हो मेरे बस्ते में, मेरी किताबों में
इल्म के मोती ज़ेहन में तुम्हीं जड़ते हो # पिता! तुम रूह में बसते हो
पिता! रूह में तुम्हीं उमड़ते-घुमड़ते हो
तुम सबक़ का इमाम दिखाई पड़ते हो

बसते हो मेरे बस्ते में, मेरी किताबों में
इल्म के मोती ज़ेहन में तुम्हीं जड़ते हो # पिता! तुम रूह में बसते हो
ajaybishwas1338

Ajay Bishwas

New Creator

# पिता! तुम रूह में बसते हो