भूलना भी नहीं है और चाहता भी नहीं कोई ये सब कभी याद दिलाए भी मुझे इक जीवन से हार गया या इक जीवन में जीत हुई... !! क्यों हीरा ही छीना जाए क्यों ये युग की रीत हुई...!! जब ये जीवन ही इक भ्रम है तो प्रभु क्यों फिर मोह बनाया क्या है जीवन और बताओ क्यों खुशियों में द्रोह बनाया