कभी तोड़ के देखा, कभी जोड़ के देखा, में हर बार आजमा कर देखा गया हूं, कहीं खुशियां बिकी, कहीं बजूद बिका, में टुकड़ों में बांट के बैका गया हूं। कही बोली लगी करोड़ों की, कही कोढियों के भाव में फेंका गया हूं, कही किसी ने मुझको सहारा दिया, कहीं किसी के हाथों समेटा गया हूं। अजीब सी जिंदगी है तेरे शहर में, में जिंदा तो था पर जी ना सका हूं, कही सांसे बिकी, कही जख्म बिके, मैं पल भर मुस्कुराने को तरसता रहा हूं। पर हार नही मानी है मैने, दुनिया से लड़ना मे खुद से सीखा हूं, कहीं इज्जत बिकी, कहीं नाम बिक गया, मैं फिर भी अपने रूवाब में जीता हूं जिसने जैसा चाहा, वैसा बनाया, मैं हर साचें में ढाल के देखा गया हूं लोग कहते है की मैं बदल गया आकाश, मैं बदला नही,मैं बदल दिया गया हूं। ©Pawan Singh Prajapati कभी तोड़ के देखा, कभी जोड़ के देखा, में हर बार आजमा कर देखा गया हूं, कहीं खुशियां बिकी, कहीं बजूद बिका, में टुकड़ों में बांट के बैका गया हूं। कही बोली लगी करोड़ों की, कही कोढियों के भाव में फेंका गया हूं, कही किसी ने मुझको सहारा दिया,