कुछ तलब़ सी लगी है नशे की न जाने क्यूँ तेरी ऑंखों की तलाश है सुना है नशा है उनमें बेहद की हद तक उससे ही करनी पूरी ये आस है, कि एहसासों की कश्मकश को अभी थोड़ा सा अर्धविराम दो और हो सके तो कल के ख्यालों को एकमत पूर्णविराम दो, कि आरजू है इस दिल की कि महबूब का दीदार शाम की आखिरी रौशनी तक हो दरसल क्या है न कि अंधेरों में तो वैसे भी जिंदगी गुजर ही रही थी अब तक।। #तलब़_इश़्क_का #YQdidi #YQbaba #YoPoWriMo