Unsplash आजकल लिख रही हू मनमर्जियां अपनी सच कह नहीं सकती तो झूठ उधार लेती हूं बेशक मैं दर्द ए मुरीद सी भूल जाऊं खुदको अपने शब्दों से लोगों को सुधार देती हूं तरबियत इतनी कि तबियत खराब कर दूं कह दो जरा तो अपनी न सही दूसरों की भी जीवनी को पन्ने पर उतार देती हूं मैं वो शख्श हूं जिसका जमीर जिंदा है सच कह नहीं रकती तो झूठ उधार लेती हूं ©Shilpa Yadav #lovelife #गजल#गजल_सृजन #shilpayadavpoetry Vishalkumar "Vishal" Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"