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#OpenPoetry “जों इल्म ए रज़ा पर कामिल ईमान लाने वा

#OpenPoetry “जों इल्म ए रज़ा पर कामिल ईमान लाने वाला नहीं,
में ग़ज़ाली कभी उसका साथ निभाने वाला नहीं,
में हमदर्द बन कर रहु अगर कोई गुलाम ए रज़ा हो,
बाकी मुनाफिकों को तो में मुॕह लगाने वाला नहीं”
#Gäzälî #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì
#OpenPoetry “जों इल्म ए रज़ा पर कामिल ईमान लाने वाला नहीं,
में ग़ज़ाली कभी उसका साथ निभाने वाला नहीं,
में हमदर्द बन कर रहु अगर कोई गुलाम ए रज़ा हो,
बाकी मुनाफिकों को तो में मुॕह लगाने वाला नहीं”
#Gäzälî #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì