खामाेशी इतनी भी अच्छी नहीं की वाणी हीं अवरूद्व हाे जाए । लाजमी है कभी-कभी चहलकदमी करना अवचेतन मन की धरती पर भी स्वपन हमेशा लुभाते है मानव चाहे कितना भी प्रबुद्व हाे जाए । ऐसे हीं कभी ,कहीं,किसी राेज अवचेतन मन मे करना तुम मेरा आवाहन किंचिंत स्वपन में हीं रिश्ता तेरा मेरा समूद्व हाे जाए.... सुप्रभात। किसी शायर ने कहा है - ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है। इसलिए बात करें। बात करने से बात बनती है। #ख़ामोशमतरहो #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi