जिसके लहज़े में थोड़ा भी अपना अक्स मिलता है
ऐसा कहाँ ज़माने में अब कोई शख़्स मिलता है
ख़्याल उसका इस क़दर हावी हुआ दिल से हार गया हूँ
ढूँढने पर हर-आदमी उसके ही बर-अक्स मिलता है
मुन्फरिद है वो, मुख़्तलिफ़ इतना अलग ही दिखाई दे
उसे रोज़ कहाँ ख़्वाबों में आने का फिर वक़्त मिलता है #Quotes#Feeling