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तुम दिखे ही नहीं जब से जुदा हो गए तुम तो इंसान नह

तुम दिखे ही नहीं जब से जुदा हो गए 
तुम तो इंसान नहीं जैसे खुदा हो गए 

ख़फ़ा तो हम भी हो गए थे यार तुम से
पर तुम दिखे हम फिर फ़िदा हो गए 

तुम्हारी आँखें किसी नशे से कम नहीं 
गए महीनों हम को मय-कदा हो गए 

दोनों आलम में है जैसे मिरा कोई नहीं 
जिस-जिस को रोकना चाहा विदा हो गए 

अब ये जहाँ ढूंढ नहीं सकता हम को 
हम कब के तुझ में गुमशुदा हो गए 

कुछ मिला नही यार तुमसे मिल कर
शाद की चाह थी और ग़मज़दा हो गए 

तुम तो सिर्फ शेर पढ़ रहे थे शुभम
पर सुनने वालों के दर्द ज़िंदा हो गए।

©Shubham Parihar #इंसान #ghazal #gum-e-ishq#merealfaaz#nojoto
तुम दिखे ही नहीं जब से जुदा हो गए 
तुम तो इंसान नहीं जैसे खुदा हो गए 

ख़फ़ा तो हम भी हो गए थे यार तुम से
पर तुम दिखे हम फिर फ़िदा हो गए 

तुम्हारी आँखें किसी नशे से कम नहीं 
गए महीनों हम को मय-कदा हो गए 

दोनों आलम में है जैसे मिरा कोई नहीं 
जिस-जिस को रोकना चाहा विदा हो गए 

अब ये जहाँ ढूंढ नहीं सकता हम को 
हम कब के तुझ में गुमशुदा हो गए 

कुछ मिला नही यार तुमसे मिल कर
शाद की चाह थी और ग़मज़दा हो गए 

तुम तो सिर्फ शेर पढ़ रहे थे शुभम
पर सुनने वालों के दर्द ज़िंदा हो गए।

©Shubham Parihar #इंसान #ghazal #gum-e-ishq#merealfaaz#nojoto