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बदलती मनोवृत्ति चिंता का विषय है या चिंतन का जी

 बदलती मनोवृत्ति चिंता का विषय है या चिंतन का 

जीवन की  आपाधापी  में, क्यूँ  खो  रहा मुस्कान है,
हर दिन हर पल रूप, किसलिए बदल रहा इंसान है,

रंग बदलने में जाने क्यों ,गिरगिट को पीछे छोड़ रहा,
अपनी  ही  फितरत  से  क्यों  ये बन रहा अनजान है,

आईने  में  रूप   उसके   मन   मुताबिक    ढल रहा,
साथ छोड़कर आदर्शों का ,हुआ फरेब पे मेहरबान है,

रिश्ते  , नाते ,  सम्बन्ध सब , मिथ्या  इसे   लगने लगे,
कौन समझाए इसे , कि  ये    गुलशन  नही श्मशान है

ले जा रही पतन  की  ओर , बदलाव  की ये आँधियाँ,
वो  देकर  मौन  स्वीकृति ,जगत  में बन रहा महान है,

एक दिन तो इसका खामियाजा,  सकल भू  उठाएगी,
क्यूँ  माँ को  चोट  दे  गई ,  ख़ुद उसकी ही सन्तान है ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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