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जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे, ऐसे लोगों पर म

जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे,

ऐसे लोगों पर मर मिटे जो बेजान थे,

रखते रहे थे पर्दा हम उसकी बेवफाई का,

पर वही कातिल निकला जिसपर हम 
मेहरबान थे।

©Khan Sahab #पर_वही_कातिल_निकला
shayari on life 
zindagi sad shayari
 shayari in hindi
जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे,

ऐसे लोगों पर मर मिटे जो बेजान थे,

रखते रहे थे पर्दा हम उसकी बेवफाई का,

पर वही कातिल निकला जिसपर हम 
मेहरबान थे।

©Khan Sahab #पर_वही_कातिल_निकला
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mohdsharifkhan5110

Khan Sahab

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