निर्लज्ज ये तंत्र हुआ,शर्म हया से हीन। सीमा सारी तोड़ दीं, सांप बजायें बीन।। राजेश गुप्ता'बादल'मुरैना मध्यप्रदेश निर्लज्ज ये तंत्र हुआ,शर्म हया से हीन। सीमा सारी तोड़ दीं, सांप बजायें बीन।।