कर भ्रष्टाचार तू ,हम बोलेंगे। तेरे हर राज,हम खोलेंगे। सालों से बंद,लगे तालों से होठों को हम खोलेंगे। हम बोलेंगे...2 हम अपने हक की बातों को, जंग लगे इन हाथों को, हम बोलेंगे ,हम खोलेंगे। तेरे हर राज ,हम खोलेंगे । हम बोलेंगे हम बोलेंगे। poetry Anubhav Chaudhary ham bolega Ham bolenga