#OpenPoetry मर्दानी आज कुछ ऐसा दृश्य मैने देख आई वह जो पतली,नाटी-सी,हाँ-हाँ उसका भाई घर पर करता रहता अपनी बहुत बड़ाई घिनौना हरकत करते बहार ज़रा सी शर्म न आयी छेड़ रहा था उस बेटी को जिसका नहीं कोई भाई डर कर उससे घर को भागी दौड़ी आयी दरवाजा बन्द कर,तकीये से लिपट कर रोयी आवाज सुनकर माँ ने दरवाजा खट्खटाई माँ ने उसको समझाया,मूल बात वो बोल ना पाई सताने लगा था हर जगह वह बदमाश भाई अटल सहन के बाद उसमें क्रोध भर आयी अबकी बार न छोड़ने की उसको,कसम उसने खाई ताक रखा था उसने,कि अब जाके बहार आयी कोचिंग से वापस आते ही,अंधेरी गली आयी क्या पता था उसको?वहीं छिपा था वह बदमाश भाई गली में दबोच लिया उसको, बड़े जोर से चिल्लाई न आया मदत के लिए कोई, लड़ रही थी वह अपनी लड़ाई कपड़े फ़ाड़े उसके,किसी तरह उसने अपनी इज़्ज़त बचाई झोली से निकाला छुरा,सीधे गले पे चलाई काट दिया गला, हिम्मत जुटाके दिखाई वाह रे बहना तुने क्या सबक है सिखाई नारी का सम्मान करो न कि उनसे लड़ाई उनको न क्रोधित करो मेरे जग के भाई हर नारी में छिपा है वह मर्दानी लक्ष्मीबाई || #OpenPoetry#Nojoto#OpenPoetry#Challange#Shayari#Poem ✍Ruchi ki kalam se✍ sabi khan