चले हंस की चाल तू, तू रमणी-तू नार, काले-काले केशों से, महके पुष्पसार। चोरे चित्त की चांदनी, ओढ़ के सर प्रवार, फूल कली से खिल रहा, ज्यों बहे पवन की धार।। महके पुष्पसार