उस काली, अंधेरी रात, तुम्हारी तस्वीर के साथ, पुरानी रातों को याद कर नई रातों को रूला रहा था मैं। पुरानी रातों में - चांद था आधा, पूरे थे हम। सीने पर सर था तुम्हारा, जी रहे थे हम। ख़ामोश थे हम, पर दिल कुछ कहना चाह रहा था। दिमाग धुएं को मिटाना चाह रहा था, पर दिल उस पर पर्दा डाल रहा था। सुकून शायद था तुम्हारे पास पर बैचेन मैं था। खैर, मेरे बस में होता तो मैं उस Love Night को, Good Morning होने ही नहीं देता तुम्हारी एक कोशिश को तरस गया था, वरना इश्क़ का रंग उतरने ही नहीं देता। ना चाहते हुए भी तुम्हारा पहला खत जलाना पड़ा। ना चाहते हुए भी तुम्हारा एक झुमका तुम्हे वापस लौटाना पड़ा और ना चाहते हुए भी एक झुमका पास रखना पड़ा। ना चाहते हुए भी, तुम चले गए, इसीलिए जाना पड़ा। ना चाहते हुए भी तुम्हारी सारी यादें मिटानी पड़ी और ना चाहते हुए भी तुम्हारी यह तस्वीर पास रखनी पड़ी। जिसे रातों में दिल से लगाकर सोता हूं मैं। और खुद को रोते हुए को चुप कराकर, मुस्कुराकर कहता हूं मैं, मोहब्बत शायद अधूरी रही, पर इतना तो चलता है।।😊 - सौरभ पांचाल #SAD #_काली_रातें_ #_तुम्हारी_तस्वीर_ #_प्यार_भी_और_थोड़ी_नफरत_भी_