मत डालो बंदिशें किरदारों में ढली सरहदों की करो दुआएं हकीकतों में सुहानी इबादतों की जिंदगी भी पूछती है ये बे हल सवाल अब दुनियावी सफ़र में लौट के तू आएगा कब नामुमकिन मयस्सर ये ख्बावो का दरियां मिट जाएगी हस्ती मिलेगा ना कुछ सबब यादें हवाएं बनकर दूर तक जाएगी उसको कुछ तो मेरा एहसास दे आएगी मिले ना मिले मुकम्मलता की खबर कोशिशें तो पाने की बेइंतहा की जाएगी कल्पनाओं का मारा ..यथा में भटकता बेचारा हड्डी #DesertWalk