नही वाकिफ़ मेरी नज्में उसके हालातों से,नहीं जानता कि अब वो कैसी है मेरे जीवन में अब उपस्थिति उसकी,किसी कहानीं की परियों के जैसी है एक बड़े अरसे के बाद कल मैंने,देखी है बस एक झलक उसकी यकीनन सब कुछ बदल चुका है अब उसमें,बस आँखें वैसी की वैसी है सारांश...जिंदगी का