मन में एक पहेली थी मैं सबके बीच अकेली थी, चल तो रही थी मैं तन्हा पर न जाने कितने सवालों की गुत्थी मेरी सहेली थी , सर पे था खुला आसमां पैरो के नीचे थी जमीं होठों में मुस्कुराहट पर आंखो में थी नमी, मन में एक पहेली थी मैं सबके बीच अकेली थी।।। ©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital #Main_akeli