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"ईद अपना" अपनों को पाया रक़ीब अपना, कहाँ छोड़ आया व

"ईद अपना"

अपनों को पाया रक़ीब अपना,
कहाँ छोड़ आया वो ईद अपना।

रह गया अब रश्क शहर में,
तो रश्क ही है नसीब अपना।

लड़ रहे कह हिन्दू-मुस्लिम,
हिन्दुस्तान नहीं अब दीद अपना।

वर्षों हो गए गले लगे अब,
ईद हुआ रश्क बईद अपना।

धू-धू कर जलता शहर है,
दरिया-ए-लहू समीप अपना।
                     
                         📝अभिषेक सिंह। #nojotourdu #eidmubarak #lovepoem #raqiib #nojotolove
"ईद अपना"

अपनों को पाया रक़ीब अपना,
कहाँ छोड़ आया वो ईद अपना।

रह गया अब रश्क शहर में,
तो रश्क ही है नसीब अपना।

लड़ रहे कह हिन्दू-मुस्लिम,
हिन्दुस्तान नहीं अब दीद अपना।

वर्षों हो गए गले लगे अब,
ईद हुआ रश्क बईद अपना।

धू-धू कर जलता शहर है,
दरिया-ए-लहू समीप अपना।
                     
                         📝अभिषेक सिंह। #nojotourdu #eidmubarak #lovepoem #raqiib #nojotolove