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कभी हया छलकती है, कभी नजाकत,कभी शरारत। कितने रंग ल

कभी हया छलकती है,
कभी नजाकत,कभी शरारत।
कितने रंग लिए फिरती हैं
ये आंखें इंद्रधनुष जैसी हैं।

©शब्दकार निम्मी #आंखें
कभी हया छलकती है,
कभी नजाकत,कभी शरारत।
कितने रंग लिए फिरती हैं
ये आंखें इंद्रधनुष जैसी हैं।

©शब्दकार निम्मी #आंखें