कैकी जिकुड़ा पर लगी ठेस त्वे माफ कै नि सकदी जतगा भी होली त्वेमा माया,चुंगटी भर तू लुकै नि सकदी क्वी हक नि होन्दु तेरु माया मा "राज" लगै की घौ तू,कैकू मयालु प्राण दुखै नि सकदी ©Saurabh Raj Sauri दुखै नि सकदी