जब भी बरसात बरसेगी हम तेरे दिए हुए खत को पढ़ नहीं पाएंग़े वो चांद सा चमकता चेहरा हम कभी देख नहीं पाएँगे जब भी बहेंगी ये सर्द तेज़ हवाएं हम तेरी यादों में खो कर तुझे महसूस कर नहीं पाएंग़े ता उम्र निभाओगी तुम साथ हमारा तुम्हारे इस वादे को हम भूला नहीं पाएंगे हमारी इस बिखरी हुए अर्ज़ी ज़िन्दगी में हम कभी शौक से मुस्कुरा नहीं पाएँगे बिखर कर तूट चुके हैं हम फ़िर से खड़े होकर उम्मीद से जी नहीं पाएंग़े दर्द में बसर हो गई ज़िन्दगी हमारी हम ये दास्ताँ किसी से कह नहीं पाएँगे ©Er.Amit Kumar #N~105"बेपनाह इश्क़ "