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कली हूं में आज अपने मां बाप के आंगन की, एक दिन फूल

कली हूं में आज अपने मां बाप के आंगन की, एक दिन फूल बन के चमन करूंगी पिया का आंगन, फिर एक नन्ही कली को इस जीवन रूपी बाग में आना है। ये जीवन चक्र ऐसे ही चलता है इसलिए कभी भी किसी कली को मत तोडना। कली
कली हूं में आज अपने मां बाप के आंगन की, एक दिन फूल बन के चमन करूंगी पिया का आंगन, फिर एक नन्ही कली को इस जीवन रूपी बाग में आना है। ये जीवन चक्र ऐसे ही चलता है इसलिए कभी भी किसी कली को मत तोडना। कली