देशभक्ति गीत शहीद के, सीने से निकलकर गोली ! ये बोली वो मर कर भी, हो गया अमर मैं मार कर भी, गयी हूँ मर माँ ने खूब अशीषा था, पत्नी ने रोली टीका था चेतक सा चपल वो, शेर-बाघ सरीखा था शहीद के, माथे पे चमक कर रोली ! ये बोली वो घिर कर भी, बस लड़ा निडर मैं शीश पर भी, कर रही फिकर शहीद के, सीने से..... आने की खुशहाली थी, घर पर तो दिवाली थी सेर पे सवासेर वो, लहू से खेली होली थी शहीद के, लहू को नमन कर होली ! ये बोली वो लहू बहाकर भी, छाया हर अधर मैं बेरंग रह गयी, सौ रंग खेल कर शहीद के, सीने से.... विपिन कुमार सोनी प्रयागराज (इलाहाबाद) ©विपिन कुमार सोनी #IndianArmy Suman Zaniyan Ritika Singh Author shivam kumar mishra Vaishali Chauhan Author shivam kumar mishra