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धन के आकर्षण ने.. हमको छकाया बहकाया! भाग दौड़ कर त

धन के आकर्षण ने..
हमको छकाया बहकाया!
भाग दौड़ कर तिकड़म कर!
धन को खूब बनाया !!
वैभव से घर आंगन को..
सवारा खूब सजाया!!
मिल जाये सब कुछ हमको..
जुगत जी तोड़ लगाया!!
धन दौलत मकान सोना चांदी..
खेत और खलियान बनाया!!
कर विदेश का दौरा खूब..
अमेरिका में इलाज कराया!!
डिग्री ले कर हार्वर्ड से..
सत्ता सुख है हमने पाया!!
चिंता अब किस बात का करूं?
सुरक्षित कई पीढ़ी को कराया!!
हमने ही कर के देश भक्ती..
जन मन की भावना जगाया!!
राजनीति जातिवाद का कर के..
धर्म के नाम पर आग लगाया!!
अन्त समय चलने की जब आई..
कुछ भी मेरे.. हाथ न आया!!
हरि विचित्र है दुनियां की माया!
कभी किसी के समझ न आया!!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 धन के आकर्षण ने..
हमको छकाया बहकाया!
भाग दौड़ कर तिकड़म कर!
धन को खूब बनाया !!
वैभव से घर आंगन को..
सवारा खूब सजाया!!
मिल जाये सब कुछ हमको..
जुगत जी तोड़ लगाया!!
धन के आकर्षण ने..
हमको छकाया बहकाया!
भाग दौड़ कर तिकड़म कर!
धन को खूब बनाया !!
वैभव से घर आंगन को..
सवारा खूब सजाया!!
मिल जाये सब कुछ हमको..
जुगत जी तोड़ लगाया!!
धन दौलत मकान सोना चांदी..
खेत और खलियान बनाया!!
कर विदेश का दौरा खूब..
अमेरिका में इलाज कराया!!
डिग्री ले कर हार्वर्ड से..
सत्ता सुख है हमने पाया!!
चिंता अब किस बात का करूं?
सुरक्षित कई पीढ़ी को कराया!!
हमने ही कर के देश भक्ती..
जन मन की भावना जगाया!!
राजनीति जातिवाद का कर के..
धर्म के नाम पर आग लगाया!!
अन्त समय चलने की जब आई..
कुछ भी मेरे.. हाथ न आया!!
हरि विचित्र है दुनियां की माया!
कभी किसी के समझ न आया!!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 धन के आकर्षण ने..
हमको छकाया बहकाया!
भाग दौड़ कर तिकड़म कर!
धन को खूब बनाया !!
वैभव से घर आंगन को..
सवारा खूब सजाया!!
मिल जाये सब कुछ हमको..
जुगत जी तोड़ लगाया!!

धन के आकर्षण ने.. हमको छकाया बहकाया! भाग दौड़ कर तिकड़म कर! धन को खूब बनाया !! वैभव से घर आंगन को.. सवारा खूब सजाया!! मिल जाये सब कुछ हमको.. जुगत जी तोड़ लगाया!!