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आरंभ तुमसे ही, अंत तुम्हीं पर होता हूं। सुबह तुमस

आरंभ तुमसे ही, अंत तुम्हीं पर होता हूं।
 सुबह तुमसे ही, शाम तुम्हीं से होती हैं।
🌸
 हसीं तुमसे ही, दुःखी भी तुमसे ही होता हूं।
 मैं शुरू तुम से ही, ख़तम तुम्हीं पर होता हूं।

©ठाकुर अविनाश सिंह 🚩 ठाकुर पूजा जी के द्वारा
आरंभ तुमसे ही, अंत तुम्हीं पर होता हूं।
 सुबह तुमसे ही, शाम तुम्हीं से होती हैं।
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 हसीं तुमसे ही, दुःखी भी तुमसे ही होता हूं।
 मैं शुरू तुम से ही, ख़तम तुम्हीं पर होता हूं।

©ठाकुर अविनाश सिंह 🚩 ठाकुर पूजा जी के द्वारा