ये रिमझिम बारिशें अक्सर लाती है ग़म और तेरी यादें। बरस जाती है ये लम्हों मे लाती है ग़म और तेरी यादें। गिरती थी बिजलियाँ फ़लक़ से तुमको करीब लाती थी, आज भी बिजली बनकर मिलने आए हम और तेरी यादें। भीग जाने को मैं घर से जानकर बिन छाते निकलता हूँ, कही आने से पहले ही न लौट जाओ तुम और तेरी यादें। ज़माने को ख़बर हैं बारिशों से मेरी मोहब्बत की दास्तां, उसने भी पढ़ी है मेरे चेहरे पर आँखें नम और तेरी यादें। मिलना होगा न जाने कब उस जहां में ‘आकांक्षा’ अधूरी है, दिल की धड़कनों का सहारा हो तुम हरदम और तेरी यादें। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त