ये मेहंदी याद है तुम्हें ! पहली बार, तुम्हारे नाम की मेहंदी ! इन हाथों में सजाई थी मैंने ! इस मेहंदी का रंग भी तेरे प्यार की तरह ही खूब गहरा रच के आया था , और तुम मेरे हाथों की मेहंदी देख ,मंद मंद मुस्कुरा रहे थे मैनें कहा! ऐसा भी क्या है इस मेहंदी में जो इतना मुस्कुरा रहे हो तो बड़े प्यार से मेरे हाथों को अपने हाथों में ले चूमते हुये बोले अब कैसे कहूँ कि मेरा नाम, तेरे हाथों में देख, खुद को तुम्हारी तकदीर में महफ़ूज कर, खुदा का सुक्र मना रहा हूँ। आज खुद को तुम्हारे इतने करीब देख! हर फिक्र मिटा रहा हूँ ****************** वो वक्त! वो वक्त भी कितना खूबसूरत था ना , काश ! कि मेरे हाथों में तेरा नाम नही फकत मेरी तकदीर में तेरा साथ होता!!! ©Miss Poonam.PP #karawa_chauth #mypoetry