ज़हान के रंगमंच में हर आदमी एक किरदार है, गफ़लत न पालें कि हर कोई आपका तरफ़दार है। कभी नज़रों का बोझ तो कभी दिल पर बोझ है, कहने को खाली है फिर भी जज़्बातों का बाजार है। जो मुक़म्मल नही मुझें उससे ख़्वाबो में मिलूंगा, लेकिन इक नींद है जो मेरे ख़्वाबो की पहरेदार है। मेरा घर बयाँ कर रहा है जरूर कुछ छूटा है मुझसे, चौकठ ख़ाली खिड़की सूनी और चुपचाप दीवार है। ♥️ Challenge-513 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।