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बिलख रही हिमालय की चोटी। हिम निगल रही शिखर की चोट

बिलख रही हिमालय की चोटी।
 हिम निगल रही शिखर की चोटी।।

 हम लड़ते है जहां शहादत पे।
 तुम लड़ते रहो यहां इबादत पे।। 

लड़ के हम मिट जाएंगे तो 
अखंड हिंदुस्तान कौन बनाएगे। 
नफरत के पौधों को उखाड़
 फेंको नहीं तो हिंद फिर पछताएंगे।।

©fateh singh sodha #एकता
बिलख रही हिमालय की चोटी।
 हिम निगल रही शिखर की चोटी।।

 हम लड़ते है जहां शहादत पे।
 तुम लड़ते रहो यहां इबादत पे।। 

लड़ के हम मिट जाएंगे तो 
अखंड हिंदुस्तान कौन बनाएगे। 
नफरत के पौधों को उखाड़
 फेंको नहीं तो हिंद फिर पछताएंगे।।

©fateh singh sodha #एकता