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रोज़ चौराहे पे सिसकती है वो जाने क्यों डर मे रहती ह

रोज़ चौराहे पे सिसकती है वो
जाने क्यों डर मे रहती है वो

कहने को तो देवी है वो
पर आदम से डरती है वो

माँ, बहन, बेटी, है वो
अपनी नही तो किसी की तो है वो

ज़रा सोच को बदलो तुम
ममता, त्याग की मूरत है वो #shayari#dard#dar#kalakash#nojotohindi
रोज़ चौराहे पे सिसकती है वो
जाने क्यों डर मे रहती है वो

कहने को तो देवी है वो
पर आदम से डरती है वो

माँ, बहन, बेटी, है वो
अपनी नही तो किसी की तो है वो

ज़रा सोच को बदलो तुम
ममता, त्याग की मूरत है वो #shayari#dard#dar#kalakash#nojotohindi